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तीन छोटे प्रश्न

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  तीन छोटे प्रश्न सुकरात बहुत ज्ञानवान और विनम्र थे। एक बार वे बाजार से गुजर रहे थे तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक परिचित व्यक्ति से हुई। उस सज्जन ने सुकरात को रोककर कुछ बताना शुरू किया। वह कहने लगा कि 'क्या आप जानते हैं कि कल आपका मित्र आपके बारे में क्या कह रहा था?' सुकरात ने उस व्यक्ति की बात को वहीं रोकते हुए कहा - सुनो, भले व्यक्ति। मेरे मित्र ने मेरे बारे में क्या कहा यह बताने से पहले तुम मेरे तीन छोटे प्रश्नों का उत्तर दो। उस व्यक्ति ने आश्चर्य से कहा - 'तीन छोटे प्रश्न'। सुकरात ने कहा - हाँ, तीन छोटे प्रश्न। पहला प्रश्न तो यह कि क्या तुम मुझे जो कुछ भी बताने जा रहे हो वह पूरी तरह सही है? उस आदमी ने जवाब दिया - 'नहीं, मैंने अभी-अभी यह बात सुनी और ...।' सुकरात ने कहा- 'कोई बात नहीं, इसका मतलब यह कि तुम्हें नहीं पता कि तुम जो कहने जा रहे हो वह सच है या नहीं।' अब मेरे दूसरे प्रश्न का जवाब दो कि 'क्या जो कुछ तुम मुझे बताने जा रहे हो वह मेरे लिए अच्छा है?' आदमी ने तुरंत कहा - नहीं, बल्कि इसका ठीक उल्टा है। सुकरात बोले - ठीक है। अब मेरे आखिरी प्र...
  सुकरात और आईना दार्शनिक सुकरात दिखने में कुरुप थे। वह एक दिन अकेले बैठे हुए आईना हाथ मे लिए अपना चेहरा देख रहे थे। तभी उनका एक शिष्य कमरे मे आया ; सुकरात को आईना देखते हुए देख उसे कुछ अजीब लगा । वह कुछ बोला नही सिर्फ मुस्कराने लगा। विद्वान सुकरात शिष्य की मुस्कराहट देख कर सब समझ गए और कुछ देर बाद बोले, “मैं तुम्हारे मुस्कराने का मतलब समझ रहा हूँ…….शायद तुम सोच रहे हो कि मुझ जैसा कुरुप आदमी आईना क्यों देख रहा है ?” शिष्य कुछ नहीं बोला, उसका सिर शर्म से झुक गया। सुकरात ने फिर बोलना शुरु किया, “शायद तुम नहीं जानते कि मैं आईना क्यों देखता हूँ” “नहीं”, शिष्य बोला । गुरु जी ने कहा “मैं कुरूप हूं इसलिए रोजाना आईना देखता हूं”। आईना देख कर मुझे अपनी कुरुपता का भान हो जाता है। मैं अपने रूप को जानता हूं। इसलिए मैं हर रोज कोशिश करता हूं कि अच्छे काम करुं ताकि मेरी यह कुरुपता ढक जाए।” शिष्य को ये बहुत शिक्षाप्रद लगी । परंतु उसने एक शंका प्रकट की- “तब गुरू जी, इस तर्क के अनुसार सुंदर लोगों को तो आईना नही देखना चाहिए ?” “ऐसी बात नही!” सुकरात समझाते हुए बोले ,“उन्हे भी आईना अवश्य देखना चाहिए”! इ...

सफलता का रहस्य

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  सफलता का रहस्य सफलता का रहस्य क्या है? जब यह प्रश्न एक युवक ने युनान के प्रसिद्ध दार्शनिक सुकरात से किया तो इस प्रश्न के उत्तर में सुकरात ने उस युवक को कल सुबह नदी किनारे मिलने के लिए कहा। अगले दिन सुबह के समय वह युवक और सुकरात दोनों नदी किनारे पहुंच गए। सुकरात ने नौजवान युवक से उनके साथ पानी में आगे बढ़ने को कहा। युवक सुकरात के साथ नदी में पानी की ओर बढ़ता चला गया। जब आगे बढ़ते- बढ़ते पानी गले तक आ गया। तब अचानक सुकरात ने उस युवक का सिर पानी में डुबो दिया। नौजवान युवक अपना सिर बाहर निकालने के लिए छटपटाने लगा। सुकरात ताकतवर थे इसलिए युवक का पानी से बाहर निकलने का हर प्रयास विफल होता जा रहा था। जब शरीर नीला पड़ने लगा तब जाकर सुकरात ने उस युवक का सिर पानी से बाहर निकाला और बाहर निकलते ही जो काम नौजवान ने सबसे पहले किया वो था हाँफते हुए जल्दी-जल्दी सांस लेना। सुकरात ने उस युवक से पूछा -जब तुम्हारा सिर पानी के भीतर था तब तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे। नौजवान युवक ने उत्तर दिया - सांस लेना। सुकरात ने कहा - बस, यही सफलता का रहस्य है। जब तुम सफलता को उतना ही ज्यादा चाहोगे जितना कि तुम उ...

बुद्धि का बल

  बुद्धि का बल विश्व के महानतम दार्शनिकों में से एक सुकरात एक बार अपने शिष्यों के साथ बैठे कुछ चर्चा कर रहे थे। तभी वहां एक ज्योतिषी आ पहुंचा। वह सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करते हुए बोला, “मैं ज्ञानी हूँ ,मैं किसी का चेहरा देखकर उसका चरित्र बता सकता हूँ। बताओ तुममें से कौन मेरी इस विद्या को परखना चाहेगा?” सभी शिष्य सुकरात की तरफ देखने लगे। सुकरात ने उस ज्योतिषी से अपने बारे में बताने के लिए कहा। अब वह ज्योतिषी उन्हें ध्यान से देखने लगा। सुकरात बहुत बड़े ज्ञानी तो थे लेकिन देखने में बड़े सामान्य थे, बल्कि उन्हें कुरूप कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी। ज्योतिषी उन्हें कुछ देर निहारने के बाद बोला, “तुम्हारे चेहरे की बनावट बताती है कि तुम सत्ता के विरोधी हो, तुम्हारे अंदर द्रोह करने की भावना प्रबल है। तुम्हारी आँखों के बीच पड़ी सिकुड़न तुम्हारे अत्यंत क्रोधी होने का प्रमाण देती है ….” ज्योतिषी ने अभी इतना ही कहा था कि वहां बैठे शिष्य अपने गुरु के बारे में ये बातें सुनकर गुस्से में आ गए और उस ज्योतिषी को तुरंत वहां से जाने के लिए कहा। पर सुकरात ने उन्हें शांत करते हुए ज्योतिषी को अपनी बात पूर्ण ...

सुकरात से संबंधित कहानियाँ

  सुकरात (469 ई. पू.-399 ई. पू.) का जन्म एथेन्स (यूनान) के सीमाप्रान्त के एक गांव में हुआ । उनके पिता सोफ्रोनिसकस, संगतराश थे और उनकी माता दाई का काम करती थीं। सुकरात विख्यात यूनानी दार्शनिक थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक कुरूप व्यक्ति थे और बोलते अधिक थे। सुकरात को सूफ़ियों की भाँति मौलिक शिक्षा और आचार द्वारा उदाहरण देना ही पसंद था। सूफ़ियों की भाँति साधारण शिक्षा तथा मानव सदाचार पर वह जोर देते थे और उन्हीं की तरह पुरानी रूढ़ियों पर प्रहार करते थे। सुकरात ने कभी कोई ग्रंथ नहीं लिखा। तरुणों को बिगाड़ने, देवनिंदा और नास्तिक होने का झूठा दोष सुकरात पर लगाया गया और इसके लिए उन्हें जहर देकर मारने का दंड मिला। जीवन परिचय सुकरात सुकरात (469 ई. पू.-399 ई. पू.) विख्यात यूनानी दार्शनिक थे। उनके बारे में कहा जाता है कि वह एक कुरूप व्यक्ति थे और बोलते अधिक थे। सुकरात को सूफ़ियों की भाँति मौलिक शिक्षा और आचार द्वारा उदाहरण देना ही पसंद था। सूफ़ियों की भाँति साधारण शिक्षा तथा मानव सदाचार पर वह जोर देते थे और उन्हीं की तरह पुरानी रूढ़ियों पर प्रहार करते थे। सुकरात ने कभी कोई ग्रंथ नहीं ...